बवासीर को ठीक करने के घरेलू उपाय

बवासीर को ठीक करने के घरेलू उपाय

बवासीर (पाइल्स)

बवासीर जिसे पाइल्स भी कहते है, आजकल बहुत ज़्यादा लोगों में पायी जाती है, अकेले भारत में ही हर साल इसके एक करोड़ से अधिक नए मरीज़ सामने आते है, दुनिया भर में 50% से अधिक लोग अपने जीवन में एक न एक बार बवासीर की तकलीफ को महसूस करते है।  बवासीर होने का मुख्य कारण, गुदा (अनस) के अंदर और आस-पास की रक्त धमनियों में दबाव पड़ने के कारण सूजन सी होने लगती है, जिसकी वजह से पाइल्स या बवासीर की समस्या उत्पन होती है।

पाइल्स या बवासीर क्या है ?

 शरीर से मल गुदा-नाल से होकर बहार जाता है। गुदा-नाल के चारो तरफ एक अवरोधिनी पेशी (स्फिंक्टर पेशी) होती है, जो मल को निकलने और मल के बहार निकल जाने के बाद, मल छिद्र को खोलता व बंद करता है, तथा इस पेशी और मल-नाल के बिच रक्त धमनिया होती है जो इन पेशियों में रक्त पहुँचाती है।  जब इन रक्त धमनियों (ब्लड वेसल्स) में दबाव के कारण फैलाव आता है तो यह मल-नाल (जो की एक पाइप की तरह होता है) में मल मार्ग में अवरुद्ध बन जाती है तथा मल जाने के रास्ते में जरुरत के हिसाब से जगह नहीं बचती, जिस से मल को बहार निकलने में रुकावट का सामना करना पड़ता है।  पाइल्स या बवासीर आमतौर पर गोल छल्लेदार गाठ की तरह होती है, जो मल छिद्र को बंद या ढक देती है।  बवासीर से पीड़ित व्यक्ति उसकी गाठ को मल-नाल में या उसके बहार लटकती हुई महसूस कर सकता है। 

 

बवासीर कितने प्रकार की होती है ?

बवासीर गुदा-नाल में किस जगह हुई है, उस जगह के हिसाब से यह पता लगाया जाता है की वह किस तरह की बवासीर है, बवासीर को उसकी प्रकृति और जगह के हिसाब से कुछ डिग्रीयो में बाटा गया है, जो निचे बताई गयी है–

पहली डिग्री बवासीर- पहली डिग्री पाइल्स में गाठ में से खून बह सकता है, तथा यह गाठ मल छिद्र से बहार नहीं आ सकती।

 

दूसरी डिग्री बवासीर- मल के निकास (Toilet) के समय इसकी गाठ मल छिद्र के बहार आ जाती है और उसके बाद खुद ही अंदर लौट जाती है। 

 

तीसरी डिग्री बवासीर- बवासीर की यह डिग्री मल, पाद, या फिर मल-नाल में जोर पड़ने से बहार आ जाती है, और बाहर से अंदर धकेलने पर मल-छिद्र से अंदर चली जाती है।

 

चौथी डिग्री बवासीर- इसमें बवासीर की गाठ हमेशा बहार की तरफ लटकी रहती है, और धकेलने में अंदर नहीं जाती और सूज जाती है, जिससे इसमें खून की गाठ बन जाती है और यह अति पीड़ादायक बन जाती है। 

 

बाहरी बवासीर- यह मल-नाल के ठीक बहार और लगभग मल-छिद्र में बनने वाली गाठ होती है, ये अगर खुनी बवासीर हो तो बहुत ज्यादा दर्दनाक हो सकती है।

एक व्यक्ति को एक समय में अलग-अलग तरह की बवासीर भी हो सकती है।

किन कारणों से बवासीर की समस्या होती है?

रक्त धमनियों में दबाव के कारण धमनिया सूज जाती है जिस कारण बवासीर का रोग होता है।  धमनियों में दबाव पड़ने के कई कारण है जैसे कब्ज, कब्ज में व्यक्ति आंतो में मल बहार निकालने के लिए जोर लगाता है, इसका बुरा असर धमनियों में पड़ता है, ऐसे ही कई परेशानिया है जैसे लम्बे समय से डायरिया का होना, गर्भाशय, मल त्यागते समय जोर लगाना, उलटी, खासी, भारी सामान उठाना आदि चीजों का सीधा असर  गुदा-नाल की रक्त धमनियों में पड़ता है और बवासीर को बनाता है। 

 

बवासीर के लक्षण क्या है ?

हर बवासीर दर्द नहीं पहुंचाता, लेकिन कुछ ऐसे लक्षण है, जिनसे व्यक्ति को बवासीर के होने का पता चलता है -

  • मल का त्याग करते समय खून का बहाव
  • मल-नाल के में गाठ का बनना
  • चिपचिपे पदार्थ (मकस) का निकलना
  • असुविधा तथा ऐसा महसूस होना जैसे आंतो से मल पूरी तरह नहीं निकला
  • मल छिद्र और उसके आस पास सूखापन और खुजली का होना
  • मल-नाल में दर्द का होना, मल को बहार निकालने के लिए जोर लगाना पड़े

बवासीर के दुष्प्रभाव

बवासीर के इलाज में देरी करने से कई गंभीर समस्याए हो सकती है और यह कई और गंभीर रोगो का कारण बन सकती है, जैसे पुट्ठे का कैंसर, ऑब्सेस्सेस, आदि।  ऐसी गंभीर रोगो से बचने के लिए सही समय में उठाये गए कदम कारगर होते है। 

 

बवासीर को खत्म करने के लिए क्या है घरेलु उपचार?

  • खली पेट आधे कटे निम्बू के रस को निचोड़कर सामान्य ताप वाले दूध में मिलाकर फटने से पहले उसको पीना चाहिए। इसमें निम्बू अच्छे पाचन में मदद करता है, तथा दूध मल व मल-नाल को नरम करता है ताकि मल का निकास आसानी से हो सके। 

 

  • सुबह व शाम खाना खाने के बाद एक गिलास छाछ में एक-चौथाई चमच अजवाइन पॉवडर और थोड़ा सा काला नमक मिलाकर पिए। अजवाइन आपके शरीर में ऑक्सीजन के प्रवाह को बड़ा देती है, जिससे पाचन क्रिया अच्छी हो जाती है, छाछ से आते नरम हो जाती है जिससे उनमे मल का ठैराव नहीं होता।

 

  • रोज सुबह एक महीने तक पांच अंजीरों को खली पेट खाये।

 

  • इमली के फूल के रस को निकालकर उसके रस को बवासीर की गाठ पर दिन में दो बार लगाए, यह गाठ को सुखाने में मदद करता है, तथा दर्द, खुजली, और जलन को कम करता है।

 

  • आम की गुठली के अंदर का बीज लेकर उसका पाउडर बनाये व आधा चमच पाउडर एक गिलास गुनगुने पानी के साथ मिलाकर सुबह, दोपहर, व शाम पिए। यह आयुर्वेदिक नुस्खा खुनी बवासीर को सुखाने में साहयता करता है। 

 

  • बवासीर होने का मुख्य कारण कब्ज है, अनार के छिलको को अच्छे से सुखाकर उसका पाउडर बनाये और गुनगुने पानी में आधा चमच घोलकर सुबह, दोपहर, शाम उसको पिए। यह बवासीर की जड़ यानि कब्ज को ख़त्म करता है।

 

  • मशालेदार, तला-भुना ना खाये, जंक फ़ूड जैसे पिज़्ज़ा, बर्गर, इत्यादि का सेवन न करे, यह मल को सख्त व मोटा बनाते है जिससे मल-नाल की धमनियों में काफी दबाव पड़ता है।

 

  • हर दिन कम से कम तीन से चार लीटर पानी जरूर पिए, पानी को प्रचुर मात्रा में पीना आपकी आंतो को जरुरी नमी देता है, जो मल को आसानी से बहार निकलने में मदद करती है।

 

  • हरी सब्जी और मौशमी फल जरूर खाये, यह आपके पाचन को आसान करता है व नरम मल बनाता है, जिससे आपकी धमनियों में कोई दबाव नहीं पड़ता।

 

  • व्यायाम, योग, और सुबह-सुबह टहलना भी बवासीर को कम करता है। 

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