सोरायसिस को ठीक करने के घरेलू नुस्खे

सोरायसिस: लक्षण, कारण और होम रेमेडीज

 

सोरायसिस एक लम्बे समय तक रहने वाली त्वचा की एक बीमारी है, जिससे दुनिया के करोड़ो लोग परेशान है। दुनिया की कुल आबादी में से लग-भग 2%-3% लोग सोरायसिस से ग्रसित है, यदि हम इस प्रतिशत की संख्या में बात करे तो पता चलता है की दुनिया के 12.5 करोड़ से भी अधिक लोग सोरायसिस से पीड़ित है। यह आकड़ा काफी ज्यादा है, सोरायसिस व्यक्ति के जीवन को अत्यधिक दुष्प्रभावित करता है। सोरायसिस किन कारणों से होता है, यह प्रश्न का उत्तर साफ़ तौर पर एलोपैथी विज्ञान नहीं दे सकता। सोरायसिस होने का एक मुख्य कारण इम्यून सिस्टम का कमजोर हो जाना है और इसका एक और अन्य कारण अनुवांशिक (जेनेटिक) रूप भी है, इसको आप ऐसे समझे की हर तीसरा सोरायसिस से ग्रसित व्यक्ति का कोई न कोई सम्बन्धी सोरायसिस से पीड़ित था या है। सोरायसिस व्यक्ति को उम्र के किसी भी पड़ाव में हो सकता है, हालाकी सोरायसिस 50 से 69 वर्ष की आयु वाले व्यक्तियो को अधिक होता है। सोरायसिस धीरे-धीरे शरीर के एक बड़े हिस्से में फैल जाती है। सोरायसिस से लगभग 1 करोड़ से अधिक भारतीय सीधे तौर पर या किसी न किसी तरह सोरायसिस से प्रभावित है।   

 

सोरायसिस क्या है?

सोरायसिस एक त्वचा में होने वाला रोग है, जो काफी लम्बी अवधी तक व्यक्ति के साथ बना रहता है। सामान्यतः जब पुरानी त्वचा की कोशिकाएं ख़त्म होने लगती है तो उसके स्थान में नयी त्वचा आती है और पुरानी त्वचा के जाने और नयी त्वचा के आने में लगभग एक महीने की समय अवधी लगती है। लेकिन सोरायसिस से पीड़ित व्यक्ति में यह समय अवधि एक महीने से घटकर मात्र 4 दिन की हो जाती है, जिससे उसकी नयी त्वचा पूरी तरह परिपक़्व नहीं हो पाती, जो बाद में सोरायसिस का रूप ले लेती है। सोरायसिस से पीड़ित व्यक्ति को खाज, खुजली, जलन व जोड़ो में अत्यधिक पीड़ा होती है।  सोरायसिस समान्यतः कपाल, पीठ, घुटने, कोहनी व पाँव इत्यादि को ज्यादा प्रभावित करता है। सोरायसिस लाल रंग के कई धब्बे से होते है, जिनमे पपडिया की परत सी होती है जो सफ़ेद या पीले रंग की हो सकती है। सोरायसिस धीरे-धीरे शरीर के बड़े हिस्से को अपना शिकार बना लेता है और व्यक्ति को मानसिक तनाव प्रदान करता है।

 

सोरायसिस कितने प्रकार के होते है?

सोरायसिस के कुछ मुख्य प्रकार निम्नलिखित है:

प्लेक सोरायसिस: सोरायसिस के कुल मरीजों में से 60% मरीज प्लेक सोरायसिस से ग्रसित होते है, सोरायसिस का यह प्रकार सबसे अधिक लोगो को अपना शिकार बनाता है। प्लेक सोरायसिस में त्वचा में  त्वचा में लाल और गुलाबी चक्कते से पढ़ जाते है जो सफ़ेद पपड़ीदार प्लेक से ढके रहते है। सोरायसिस 45 - 79 वर्ष की आयु वाले व्यक्तियों में ज्यादा पाया जाता है।

 

 

इनवर्स सोरायसिस: इनवर्स सोरायसिस व्यक्ति के मुख्यतः जनन अंगो, पुट्ठे तथा बाजुओं के स्थान को अत्यधिक प्रभावित करता है, सोरायसिस के कुल व्यक्तियों में से 13 % व्यक्ति इनवर्स सोरायसिस के है। इसमें त्वचा में लाल और गुलाबी घेराव सा आ जाता है, लेकिन इसमें सफ़ेद पपड़ीदार परत नहीं होती है।

 

ड्रॉपलेट सोरायसिस: ड्रॉपलेट सोरायसिस अधिकतर 8 - 10 वर्ष की आयु वाले बच्चो को होता है, यह 10 से 19 वर्ष तक बच्चो में भी पाया जाता है। ड्रॉपलेट सोरायसिस लाल धब्बेदार दाने से होते है, जो शरीर में मुख्यतः पाँव, जांघो, बाजुओं व गुप्तांगो को प्रभावित करता है।

 

पसट्यूलर सोरायसिस: सोरायसिस के कुल मरीजों में से 2 % मरीज पसटीयूलर सोरायसिस के होते है। इसमें कई छोटे-छोटे लाल-गुलाबी घेराव मिलकर त्वचा में एक बड़े लाल घेराव का निर्माण करते है, यह लाल धब्बेदार मुहासो में पस भरा हुआ रहता है, जो की कोई खतरा उत्पन्न नहीं करता। पसटीयूलर सोरायसिस मुख्यतः नाखुनो, हथेलीयो, उंगलियों और पाँव के तलवो में होता है।

 

एरीथ्रोडर्मिक सोरायसिस: एरीथ्रोडर्मिक सोरायसिस मुख्यतः पुरुष व्यक्तियों को अपना शिकार ज्यादा बनाता है। यह शरीर के किसी भी अंग में हो सकता है लेकिन यह पीठ में सबसे ज्यादा देखा गया है। एरीथ्रोडर्मिक सोरायसिस एक जानलेवा कारक भी साबित हो सकता है क्योकि इस  से जानलेवा बीमारी जैसे हाइपोथरमिआ की भी शिकायत हो सकती है।

 

 

सोरायसिस होने के क्या कारण है?

सोरायसिस होने के कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित है:

  • त्वचा या गले का इन्फेक्शन
  • ठण्ड व शुष्क वातावरणीय कारण
  • त्वचा में कोई चोट या जली हुई त्वचा
  • सूर्यताप की गर्मी से जलन
  • काम व घर के विषय में चिंता
  • धूम्रपान की आदत
  • शराब का अतयधिक सेवन
  • अनुवांशिक व सोरायसिस का पारिवारिक इतिहास
  • उच्च रक्त-चाप (हाई ब्लड प्रेशर) या हृदय सम्बंधित किसी रोग की दवा का रोजाना सेवन

 

 

सोरायसिस के क्या लक्षण है?

सोरायसिस के कुछ मुख्य लक्षण निम्नलिखित है:

  • शरीर में लाल और गुलाबी धब्बे पड़ना
  • धब्बो में खुजली व तीक्ष्ण दर्द उठना
  • समान्यतः सोरायसिस शरीर के बड़े हिस्से को प्रभावित करता है
  • कपाल में अत्यधिक डैंड्रफ आ जाता है
  • नाखुनो का रंग उड़ जाता है
  • शरीर के प्रभावित हिस्से में खरास और जलन की अनुभूति
  • सोरायसिस यदि कपाल में हो रहा है तो इसमें सफ़ेद पपड़ी दार परत ढकी हुई रहती है
  • जोड़ो में सूजन व दर्द होना
  • शरीर में कई छोटे-छोटे दाने पड़ना
  • शरीर में सूखापन व सफ़ेदपन होना
  • सोरायसिस होने के बाद वह बड़े हिस्से की ओर फैलता है

 

सोरायसिस से क्या समस्याएं हो सकती है?

सोरायसिस केवल एक त्वचा का  ही रोग नहीं है बल्कि यह कई अन्य जानलेवा बीमारियों का वाहक भी है, सोरायसिस से होने वाली कुछ समस्याएं निम्नलिखित है:

  • जोड़ो में सूजन और दर्द
  • नेत्र रोग जैसे मोतियाबिंद इत्यादि
  • अत्यधिक मोटापा और ओबेसिटी
  • मधुमेह या डायबिटीज
  • हाई ब्लड प्रेशर या उच्च रक्त चाप
  • हृदय सम्बंधित रोग
  • त्वचा में जलन
  • ऑटोइम्म्युने डिसऑर्डर जैसे क्रोहनस ऑटोइम्म्युने डिसऑर्डर
  • डिप्रेशन और एंग्जायटी
  • हाइपोथरमिया

 

सोरायसिस में क्या करे और क्या न करे?

निचे लिखी गयी टिप्स को अवश्य अपनाये व उनका पालन करे:

  • यदि त्वचा का इन्फेक्शन शुरुआती दौर में है तो उसका तुरंत उपचार करे
  • धूम्रपान इत्यादि को छोड़ दे
  • शराब का सेवन न करे
  • अपनी त्वचा को मॉइस्चराइस रखे
  • दूध, दही, घी इत्यादि डेरी उत्पादों का सेवन न करे
  • मीट- मांस का सेवन छोड़ दे
  • सिट्रस फल जैसे संतरे, नींबू का सेवन बंद करे
  • अपने शरीर को 15 से 20 मिनट के लिए गर्म पानी के टब में डुबाये रखे
  • सुबह धुप अवश्य सके लेकिन अत्यधिक धुप सेकने से बचे
  • स्वस्थ भोजन का सेवन करे और जंक, पैकेज्ड और प्रोसेस्ड फ़ूड को छोड़ दे
  • जो भोजन रक्त में कोलेस्ट्रॉल को बढ़ता है उसका सेवन छोड़ दे

 

सोरायसिस के लिए होम रेमेडीज या घरेलू इलाज

सोरायसिस से लड़ने के लिए कुछ होम रेमेडीज निचे दी गयी है, इन होम रेमेडीज को अपने जीवन में अवश्य अपनाये-

 

सोरायसिस के लिए पहली होम रेमेडी:

सामग्री: पत्ता गोभी

स्टेप 1: पत्ते गोभी के कुछ पत्ते लेकर उनको बारीक पीसकर एक पेस्ट बना कर एक कटोरे में रख दीजिये

स्टेप 2: गोभी के पेस्ट की कटोरी को एक बड़े गर्म पानी से भरे कटोरे में तेहराते हुए रख दीजिये

निर्देश: जब पेस्ट गुनगुना हो जाये उसको निकाल कर जिस स्थान पर सोरायसिस हुआ वहां पर लगा लीजिये और एक साफ़ और नरम कपडे से उस पेस्ट को हलके से दबाये।

 

सोरायसिस के लिए दूसरी होम रेमेडी:

सामग्री: करेले का जूस और नींबू का जूस

स्टेप 1: करेले की बाहरी सतह का इस्तेमाल कर एक गिलास करेले का जूस या रस बनाये

स्टेप 2: करेले के एक गिलास जूस में 1 चम्मच नींबू का अच्छी तरह मिला लीजिये

निर्देश: इस मिश्रण जूस का सेवन रोजाना सुबह खाली पेट कम से कम 6 महीने तक करे

 

सोरायसिस के लिए तीसरी होम रेमेडी:

सामग्री: बेकिंग सोडा और एक कटोरा पानी

स्टेप 1: एक कटोरा साफ़ पानी लीजिये और उसमे 2 चम्मच बेकिंग सोडा मिला लीजिये

स्टेप 2: सोडे को पानी में अच्छी तरह मिला लीजिये

निर्देश: इस मिश्रण में एक साफ़ कपडे या तौलिये को डुबोकर उसका रस अपने सोरायसिस ग्रसित स्थान में लगाए

 

सोरायसिस के लिए चौथी होम रेमेडी:

सामग्री:  गाजर, चुकुन्दर और आधा गिलास पानी

स्टेप 1: आधा गाजर और आधा चुकुन्दर लेकर उन्हें उबाल लीजिये

स्टेप 2: उबले हुए गाजर और चुकुन्दर को ब्लेंडर में पानी के साथ पीस लीजिये और उसका जूस बना लीजिये।

निर्देश: रोजाना इस मिश्रण का सेवन दिन में एक बार अवश्य करे

 

सोरायसिस के लिए पांचवी होम रेमेडी:

सामग्री: आधी ककड़ी या खीरा, 1 बाली नींबूघास (lemongrass) की और 2 पत्ते तुलसी के

स्टेप्स: इन सभी उत्पादों को अच्छी तरह पीस कर एक मिश्रण बना लीजिये

निर्देश: इस मिश्रण का सेवन रोजाना इसे बिना छाने करे 

 

सोरायसिस के लिए 5 बेस्ट टिप्स:

  • सात दिन तक सम्पूर्ण फलाहार कीजिये
  • खाने के ओलिव आयल का इस्तेमाल करे व बीन का सेवन करे
  • करेले, खीरे और चुकुरंदर का जूस पिए
  • विटामिन-इ युक्त भोजन का सेवन करे
  • अखरोट, नट्स और बीजीय फलो का सेवन करे

 

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